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I am impressed by how lightweight #XMPP is. Most of time, I am not able to open even simple websites on my mobile data while in underground #Delhi metro, but XMPP messages go through immediately.

On a related note, I remember having internet issues in my previous phone a couple of years ago after switching to Lineage OS. Matrix, websites etc. didn't use to work. But XMPP messages used to go through fine.

दहेज की मांग नहीं करने पर भी पति और उसके परिजनों पर लग सकती है 498A, सुप्रीम कोर्ट ने बताया कैसे

Supreme Court: आम समझ है कि सेक्शन 498ए दहेज की मांग पर लगता है। यदि दहेज की मांग नहीं की गई है तो फिर ऐसे केस से महिला के पति और परिवार वाले बच सकते हैं। लेकिन देश के सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्थिति स्पष्ट की है। अदालत ने कहा कि सेक्शन 498ए का उद्देश्य महिलाओं को घरेलू उत्पीड़न, हिंसा और अत्याचार से बचाना है। इसका उद्देश्य सिर्फ दहेज की मांग करते हुए उत्पीड़न से बचाव करना ही नहीं है। यदि किसी महिला का पति और ससुराल वाले दहेज नहीं मांगते, लेकिन हिंसा करते हैं और उसे प्रताड़ित करते हैं तो भी सेक्शन 498ए के तहत उन पर ऐक्शन हो सकता है। आम धारणा रही है कि यह कानून दहेज उत्पीड़न के मामलों से महिलाओं को बचाने के लिए ही है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है।

एक केस की सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी. वाराले ने कहा कि सेक्शन 498ए का मुख्य उद्देश्य क्रूरता से बचाना है। यह सिर्फ दहेज उत्पीड़न के मामलों से ही निपटने के लिए नहीं है। बेंच ने कहा कि यदि दहेज की मांग ससुराल वाले नहीं कर रहे हैं, लेकिन महिला के साथ शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है तो फिर उनके खिलाफ ऐक्शनहो सकता है। 12 दिसंबर, 2014 को जारी आदेश में कहा गया, ‘इस सेक्शन के तहत क्रूरता की परिभाषा तय करने के लिए दहेज की मांग करना ही जरूरी नहीं है।’ शीर्ष अदालत ने यह फैसला आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए दिया। उच्च न्यायालय ने ए.टी. राव के खिलाफ 498ए के तहत ऐक्शन को खारिज कर दिया था। अब उच्चतम न्यायालय ने उस आदेश को ही खारिज कर दिया है।

महिला का आरोप- पीटकर भगाया, घर में घुसने ही नहीं दिया

ए.टी. राव पर पत्नी की पिटाई करने का आरोप था। इसके अलावा राव ने पत्नी को ससुराल से निकाल दिया था। पत्नी का कहना था कि उसने कई बार ससुराल वापस आने की कोशिश की, लेकिन अंदर ही नहीं घुसने दिया गया। इसके बाद पत्नी ने पुलिस का रुख किया और जांच के बाद राव और उनकी मां के खिलाफ केस दर्ज किया गया। इस केस के खिलाफ राव और उनकी मां हाई कोर्ट पहुंचे, जहां से केस को ही खारिज कर दिया गया। लेकिन अब उनकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया तो हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लग गई है। दरअसल राव और उनकी मां ने उच्च न्यायालय में दलील दी थी कि उनके खिलाफ सेक्शन 498ए के तहत केस नहीं बन सकता क्योंकि उन्होंने दहेज की मांग नहीं की और ना ही उसके लिए किसी तरह का उत्पीड़न किया था। इस दलील को उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया था।

बिना दहेज मांगे भी हो सकती है क्रूरता, क्या बोली अदालत

फिर आरोपी की पत्नी ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया। यहां भी एटी राव ने कहा कि उनके खिलाफ केस नहीं बनता क्योंकि उन्होंने दहेज की मांग नहीं की और ना ही उसके लिए उत्पीड़न किया। इस पर बेंच ने सेक्शन 498ए के प्रावधानों को लेकर स्थिति स्पष्ट की। बेंच ने कहा कि यह कानून मुख्य रूप से क्रूरता और हिंसा के मामलों से निपटने के लिए है। बिना दहेज मांगे भी ऐसा किया जा सकता है। इसलिए दहेज के अलावा भी यदि किसी तरह का शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न होता है तो केस दर्ज किया जा सकता है।